नई दिल्ली, 13 जून। थिंकटैंक सेंटर फॉर सिविल सोसायटी (सीसीएस) और फ्रेडरिक न्यूमन फाऊंडेशन (एफएनएफ) के संयुक्त तत्वावधान में एक वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार का विषय ‘एजुकेशन इन पेन्डेमिकः फुलफिलिंग लर्निंग गैप एमंग स्टूडेंट्स’ था। वेबिनार में दक्षिण एशियाई देशों के शिक्षाविदों व शिक्षाविशेषज्ञों ने हिस्सा लिया और कोविड 19 के कारण शिक्षा पर पड़े दुष्प्रभावों पर चर्चा की। इस दौरान सर्वसुलभ गुणवत्ता युक्त शिक्षा उपलब्ध कराने में बाजार की भूमिका पर प्रकाश डाला गया। वेबिनार में अब्दुल्ला अहमदजई (अफगानिस्तान), साकार पुदासैनी (नेपाल) व डा. मोना माथुर (भारत) ने हिस्सा लिया। वेबिनार का विषय प्रवर्तन सिटी मांटेसरी ग्रुप के सीईओ रौशन गांधी ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन एफएनएफ के क्षेत्रीय निदेशक डा. कर्सटन क्लेन ने किया।
इस दौरान एफएनएफ की नुपुर हसिजा ने कोरोना महामारी के कारण बर्बाद हो चुके शिक्षा के क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं की ओर ध्यानाकर्षण कराया। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर शिक्षा के दो आयाम होते हैः एक अधिकतम छात्रों तक पहुंच और दूसरी गुणवत्ता। नुपुर ने बताया कि छात्रों तक पहुंच के क्षेत्र में बहुत काम हुए हैं लेकिन शिक्षा की खराब गुणवत्ता अब भी चिंता का विषय है।
अफगानिस्तान में द एशिया फाउंडेशन के कंट्री रिप्रजेंटेटिव अब्दुल्ला अहमदजई ने सबके लिए शिक्षा सुनिश्चित कराने को आवश्यक बताते हुए सभी शिक्षकों और स्टेक होल्डर्स को इसके लिए एक साथ जोड़ने और मिलकर कार्य करने का आह्वान किया।
मिलियन स्पार्क फाउंडेशन (एमएसएफ) की सीईओ डा. मोना माथुर ने शिक्षा के क्षेत्र के सामुदायिक हिस्सेदारों की भूमिका को अहम बताया। साथ ही उन्होंने शिक्षकों को विशेष रूप से प्रशिक्षित करने की बात पर बल दिया।
नेपाल के टेक्नॉलजिस्ट और एजुकेटर साकार पुदासैनी अपने देश में कोविड 19 के कारण शिक्षा पर पड़े दुष्प्रभावों पर प्रकाश डाला और सीनियर और जूनियर छात्रों के बीच परस्पर संचार के माध्यम से विश्वास बहाली की बात कही।
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