अलीगढ़ मुस्लिम सेंट्रल यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैयद अहमद खां की 204 वी जन्मदिवस पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन द्वारा भव्य कार्यक्रम का आयोजन,

  




 





पटना, 17 अक्टूबर।  भारत के महान शिक्षाविद सह अलीगढ़ मुस्लिम सेंट्रल यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैयद अहमद  खां की 204वीं जयंती पर  बेतिया स्थित सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों बुद्धिजीवियों एवं छात्र छात्राओं ने भाग लिया इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता एवं डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड ने भारत के महान शिक्षाविद सहा अलीगढ़ मुस्लिम सेंट्रल विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आज ही के दिन 17 अक्टूबर 1817 को दिल्ली में सर सैयद अहमद खां का जन्म हुआ था. सर सैयद ने 1875 में जिस स्कूल की स्थापना की थी 1920 में उसने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का रूप लिया.  विगत 101 वर्षों में अलीगढ़ मुस्लिम सेंट्रल विश्वविद्यालय ने देश दुनिया के शिक्षा की गुणवत्ता के क्षेत्र में महारत हासिल की है ! सर सैयद अहमद खा द्वारा स्थापित अलीगढ़ मुस्लिम सेंट्रल विश्वविद्यालय ने ऐसे अनेक विभूतियों को दिया है जिन्होंने शिक्षा विश्व शांति अहिंसा एवं पर्यावरण संरक्षण जैसे अनेक मुद्दों को विश्व पटल पर रखने एवं इन्हें वास्तविक रूप में क्रियान्वित कराने में अपने छात्रों के माध्यम से सफलता पाई है,

इस अवसर पर डॉ एजाज अहमद डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल डॉक्टर शाहनवाज अली अमित कुमार लोहिया अमजद अली अजहर सिराज एवं पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन ने कहा कि ''सर सैयद शिक्षाविद, समाज सुधारक, पत्रकार और इतिहासकार होने के अलावा राष्ट्र निर्माण के काम को आगे बढ़ाने वाली कई संस्थाओं के संस्थापक भी रहे हैं. उन्होंने अपने लेखन के जरिए अपनी इस सोच को आगे बढ़ाया. उत्तर प्रदेश में ही कई जगह उन्होंने बहुत सी संस्थाओं की शुरुआत की. सही मायने में उनका आधुनिक भारत के निर्माण में अहम योगदान रहा है.'' 

 ''सर सैयद से प्रेरित होकर अलीगढ़ आंदोलन की शुरुआत हुई. जिसमें शिक्षा को बढ़ावा देना, सामाजिक सुधार, धार्मिक जागरुकता शामिल है. ये सिर्फ अलीगढ़ यूनिवर्सिटी तक ही सीमित नहीं है. खास बात ये है कि सर सैयद ने किसी भी चीज से बढ़कर शिक्षा को माना. महात्मा गांधी के ही शब्दों में ही कहें तो सर सैयद शिक्षा जगत के दूत थे.''  

सर सैयद अहमद खां सामाजिक सौहार्द के पैरोकार थे. उनका मानना था कि हिंदू और मुस्लिम एक दुल्हन की दो आंखों की तरह हैं. अल्लामा इकबाल के मुताबिक सर सैयद पहले भारतीय मुस्लिम थे जिन्होंने इस्लाम के नए पहलुओं को समझने की कोशिश की.  भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी

लाला लाजपत राय ने सर सैयद के बारे में कहा था , ''बचपन से मुझे सर सैयद का और उनकी बातों का सम्मान करना सिखाया गया था. वे 19वीं सदी के किसी दूत से कम नहीं थे.''' इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा विगत 2 वर्षों में विश्व के लाखों छात्र एवं छात्राओं ने विद्यालय एवं विश्वविद्यालय से आर्थिक तंगी के कारण अपने को अलग किया है !यह समाज एवं राष्ट्र की जिम्मेवारी है कि संक्रमण के इस काल में हम फिर से विश्व के लाखों छात्र एवं छात्राओं को विद्यालय एवं विश्वविद्यालय से दोबारा जोड़ें, इसके लिए संयुक्त राष्ट्र संघ, विश्व समुदाय एवं हम सब की जिम्मेवारी है कि इसे जन जागरण के रूप में छात्रों एवं छात्राओं एवं अभिभावकों को जागृत करें ताकि संयुक्त राष्ट्र संघ एवं विश्व समुदाय अपने शिक्षा के निर्धारित लक्ष्य को पा सके ,जिसका सपना बरसों पहले संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्माताओं ,विश्व के महान विभूतियों एवं हमारे पुरखों ने देखा था । 

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