बेतिया, 27 नवंबर। बेतिया शहर स्थित सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में, शिक्षाविद ,पर्यावरणविद , कला प्रेमी, वीरांगना, बेतिया राज की अंतिम महारानी महारानी जानकी कुंवर की 67 वीं पुण्यतिथि पर सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ,बुद्धिजीवियों ने भाग लिया! इस अवसर पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सचिव ,डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड एवं पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक, शाहीन परवीन ने संयुक्त रुप से महारानी जानकी कुंवर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला,महारानी जानकी कुंवर का जन्म मार्च 1870 ई0 में हुआ था !मात्र 23 वर्ष की आयु में, उनका विवाह ,बेतिया महाराज हरेंद्र किशोर सिंह से 02 मार्च 1893 ई0 को कोलकाता स्थित बेतिया राज के महल में हुआ था !मात्र 22 दिन ही सुहागन रही, महारानी जानकी कुंवर ! 1896 ई0 में महाराजा हरेंद्र किशोर सिंह की पहली पत्नी, महारानी शिव रतन कुंवर की मृत्यु के बाद बेतिया राज की महारानी के रूप में पदभार ग्रहण किया, लगभग अपने 1 वर्ष के शासनकाल में महारानी जानकी कुंवर ने अनेक रचनात्मक कार्य किए ताकि बेतिया के आम जनों के जीवन को सरल एवं सुलभ बनाया जा सके, महारानी विक्टोरिया के बड़े बेटे एडवर्ड 7 के सम्मान में स्थापित बेतिया अस्पताल को भव्य बनाने का प्रयास किया, स्थापित महारानी जानकी कुंवर ने अपने 1 वर्ष के शासनकाल में बेतिया मेडिकल कॉलेज के लिए एक बड़ी धनराशि मुजफ्फरपुर स्थित बैंक में जमा कराई ताकि बेतिया में उच्च श्रेणी का मेडिकल कॉलेज ,अस्पताल स्थापित हो एवं देश-विदेश से लोग इलाज के लिए बेतिया की तरफ रुक करें , महारानी जानकी कुंवर का मेडिकल कॉलेज अस्पताल का सपना लगभग 110 वर्ष बाद पूरा हुआ ,उन्होंने मंदिरों , धर्मशालाओ एवं अनेक पाठशालाओं की स्थापना कराई ,इसी बीच अफगानिस्तान से लेपिस लजूली नामक हीरा को मांगा कर भारत के राजा रजवाड़ों के बीच चर्चा का विषय बन गई, जनता द्वारा किए गए उनके कार्यों से अंग्रेज नाखुश थे ! इसी बीच एक षड्यंत्र के तहत 1897 ई0 को महारानी जानकी कुंवर को मानसिक रूप से बीमार घोषित करते हुए बेतिया राज कोर्ट ऑफ वार्ट्स के हवाले कर दिया गया! आज भी कोर्ट ऑफ वर्ड्स के अंतर्गत बेतिया राज सामाजिक एवं प्रशासनिक उदासीनता का शिकार है! हजारों वर्षों के ऐतिहासिक धरोहर एवं दस्तावेज नष्ट हो रहे हैं इन बहुमूल्य दस्तावेजों को दस्तावेजों को अविलंब कंप्यूटराइज करने की आवश्यकता है, सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन ने विभिन्न अवसरों पर विभाग के प्रधान सचिव एवं तत्कालीन जिलाधिकारी से इस पर बात की थी !महारानी जानकी कुंवर बेतिया से इलाहाबाद 07 अटैची रोड स्थित, बेतिया राज महल में चली गई ,लेकिन प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर त्रिवेणी संगम पर आती और 1 वर्ष की योजना बनाकर चली जाती !अपने 84 वर्ष की लंबी आयु के बाद 27 नवंबर 1954 को 07 अटैची रोड स्थित ,बेतिया राज के महल में महारानी ने अंतिम सांस ली! स्मरण रहे कि सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं बेतिया पश्चिम चंपारण वासी महारानी जानकी कुंवर की 150 वी जन्म शताब्दी वर्ष मना रहे है ! जो पूरे 2021 तक चलेगा, इस अवसर पर विभिन्न सामाजिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है ,इस ऐतिहासिक अवसर पर वक्ताओं ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि कला संस्कृति एवं युवा विभाग (संग्रहालय निदेशालय) द्वारा स्थापित बेतिया संग्रहालय आज बंद पड़ा हुआ है, सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं बेतिया पश्चिम चंपारण के बुद्धिजीवियों का एक शिष्टमंडल पहल करते हुए भारत की स्वाधीनता की 75 वीं वर्षगांठ अमृत महोत्सव पर राज देवरी स्थित बेतिया संग्रहालय को जीवंत रूप देने के लिए एक जन जागरण अभियान चला रहा है, इसके लिए एक ब्लू प्रिंट तैयार की जा रही है ताकि आने वाली पीढ़ी अपने गौरवशाली इतिहास को जान सके, बेतिया संग्रहालय के प्रभारी डॉ शिवकुमार भी बेतिया संग्रहालय को जीवंत करने के लिए काफी इच्छुक हैं ,यही होगी महारानी जानकी कुंवर के लिए सरकार की ओर से सच्ची श्रद्धांजलि, इस अवसर पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के संयोजक शंभू शरण शुक्ल शाहनवाज अली, नवीदूं चतुर्वेदी डॉ एजाज अहमद डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल डॉक्टर शाहनवाज अली ने कहा कि भारत की स्वाधीनता की 75 वीं वर्षगांठ अमृत महोत्सव को जन जागरण के रूप में मनाया जा रहा है!, जिसमें स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक किया जाएगा, साथ ही समाज में विभिन्न प्रकार की सामाजिक कुरीतियों से मुक्ति पाने के लिए कलाकारों द्वारा कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे ,इस अवसर पर विभिन्न अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे! इस अवसर पर वक्ताओं ने बेतिया मेडिकल कॉलेज अस्पताल को महारानी जानकी कुंवर के नाम पर रखने की मांग करते हुए बेतिया राज की जमीन पर बसे लोगों का सर्वेक्षण कराकर उन्हें स्थाई रूप से व्यवस्थित करने की मांग की साथ ही साथ बेतिया राज के लगभग 1000 से 5000 वर्षों तक के गौरवशाली रिकॉर्ड रूम को कंप्यूटराइज करने की मांग थी ताकि बहुमूल्य धरोहरों को संरक्षित किया जा सके,
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