अनीमिया के ख़िलाफ़ मुहिम में मिलेगी गति

 



 

बेतिया, 30 दिसंबर। अनीमिया एक गंभीर लोक स्वास्थ्य समस्या है। इससे जहाँ शिशुओं का शारीरिक एवं  मानसिक विकास अवरुद्ध होता है। वहीँ किशोरियों एवं माताओं में कार्य करने की क्षमता में भी कमी आ जाती है। इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए राष्ट्रीय पोषण अभियान के अंतर्गत ‘ अनीमिया मुक्त भारत’ कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है। बिहार सहित देश के सभी राज्यों में इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम को संचालित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत 6 विभिन्न आयु वर्ग के समूहों को चिन्हित कर उन्हें एनीमिया से मुक्त करने की पहल की गयी है। 


अनीमिया में प्रतिवर्ष 3% की कमी लाने का लक्ष्य:   


राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. श्री निवास प्रसाद ने कहा कि इस अभियान के तहत 6 विभिन्न आयु वर्ग की महिलाओं को लक्षित किया गया है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य देश के लोगों को अनीमिया जैसे गंभीर रोगों से बचाव करना है। साथ ही इस कार्यक्रम के तहत एनीमिया में प्रतिवर्ष 3% की कमी लाने का लक्ष्य भी रखा गया है। इसके लिए सरकार द्वारा 6X6X6 की रणनीति के तहत 6 आयुवर्ग, 6 प्रयास एवं 6 संस्थागत व्यवस्था की गयी है। यह रणनीति आपूर्ति श्रृंखला, मांग पैदा करने और मजबूत निगरानी पर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि खून में आयरन की कमी होने से शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है। इसके लिए सभी को आयरन एवं विटामिन ‘सी’ युक्त आहार का सेवन करना चाहिए। जिसमें आंवला, अमरुद एवं संतरे प्राकृतिक रूप से प्रचुर मात्रा में मिलने वाले स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि विटामिन ‘सी’ ही शरीर में आयरन का अवशोषण करता है। इस लिहाज से इसकी मात्रा को शरीर में संतुलित करने की जरूरत है। 


इन 6 आयु वर्ग के लोगों को किया गया है लक्षित: 


•6 से 59 महीने के बालक और बालिकाएं 

•5 से 9 साल के लड़के और लड़कियाँ

•10 से 19 साल के किशोर और किशोरियां 

•20 से 24 वर्ष के प्रजनन आयु वर्ग की महिलाएँ(जो गर्भवती या धात्री न हो)

•गर्भवती महिलाएं

•स्तनपान कराने वाली महिलाएं

    

प्रदान की जाती है निःशुल्क दवा: 


अनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत सभी 6 आयु वर्ग के लोगों में अनीमिया रोकथाम की कोशिश की जा रही है। जिसमें 6 से 59 महीने के बालक और बालिकाओं को हफ्ते में दो बार आईएफए की 1 मिलीलीटर सिरप आशा द्वारा माताओं को निःशुल्क दी जाती है। 5 से 9 साल के लड़के और लड़कियों को हर सप्ताह आईएफए की एक गुलाबी गोली दी जाती है। यह दवा प्राथमिक विद्यालय में प्रत्येक बुधवार को मध्याह्न के बाद शिक्षकों के माध्यम से निःशुल्क दी जाती है। साथ ही 5 से 9 साल तक के वैसे बच्चे जो स्कूल नहीं जाते हैं, उन्हें आशा गृह भ्रमण के दौरान उनके घर पर आईएफए की गुलाबी गोली देती हैं। 10 से 19 साल के किशोर और किशोरियों को हर हफ्ते आईएफए की 1 नीली गोली दी जाती है। जिसे विद्यालय एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों पर प्रत्येक बुधवार को भोजन के बाद शिक्षकों एवं आंगनबाड़ी सेविका के माध्यम से निःशुल्क प्रदान की जाती है। 20 से 24 वर्ष के प्रजनन आयु वर्ग की महिलाओं को आईएफए की एक लाल गोली हर हफ्ते आरोग्य स्थल पर आशा के माध्यम से निःशुल्क दी जाती है। वहीं गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के चौथे महीने से प्रतिदिन खाने के लिए आईएफए की 180 गोलियाँ दी जाती है। यह दवा उन्हें ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस के दिन प्रदान की जाती है। साथ ही धात्री माताओं के लिए भी प्रसव के बाद आईएफए की 180 गोली दी जाती है, जिसे उन्हें प्रतिदिन खाने की सलाह दी जाती है। इस दवा का भी वितरण ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस के दिन निःशुल्क ही होता है। 


सप्ताह में दो ख़ुराक दिलाएगा आपके बच्चे को खून की कमी से निज़ात:


अनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत 6 माह से 59 माह तक के बच्चों को सप्ताह में दो बार आईएफए(आयरन फोलिक एसिड) सिरप देने का प्रावधान किया गया है। एक ख़ुराक में 1 मिलीलीटर यानी 8-10 बूंद होती है। सभी आशा को स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से सिरप की 50 मिलीलीटर की बोतलें आवश्यक मात्रा में दी जाती है। प्रथम दो सप्ताह में आशा स्वयं बच्चों को दवा पिलाकर माँ को सिखाने का प्रयास करती हैं एवं अनुपालन कार्ड भरना सिखाती हैं। दो सप्ताह के बाद का ख़ुराक माँ द्वारा स्वयं पिलाने तथा अनुपालन कार्ड में निशान लगाने के विषय में इस कार्यक्रम के दिशा-निर्देश में विशेष बल दिया गया है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ