बिहार सरकार व भारत सरकार द्वारा कालाजार के मरीजों को दी जाती है आर्थिक सहायता




मोतिहारी, 18 फरवरी। बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के 25 प्रखंडों के 159 गाँवों व 37711 घरों में आशा कार्यकर्ताओं ने निरीक्षण किया। जिसमें एक भी नए कालाजार के मरीज नहीं पाए गए हैं। यह जानकारी जिले के डीवीबीडीसीओ डॉ शरदचंद्र शर्मा ने दी। उन्होंने बताया कि गत 29 दिसम्बर से 10 जनवरी 2022 तक  घर घर कालाजार मरीज खोज अभियान चलाया गया था। वहीं सदर अस्पताल में वेक्टर डिजिज से संबंधित दो दिवसीय ट्रेनिंग पुनः आशा कार्यकर्ताओं को स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिला , कालाजार के मरीजों के इलाज व जागरूकता में काफी अग्रणी साबित हो रहा है। यहां पिछले 4 वर्षों के आंकड़ों के अनुसार कालाजार के मामलों में काफी कमी आ रही है। वर्तमान में इस जिले में 75 प्रतिशत तक मरीजों के मामलों में कमी आ चुकी है।

कालाजार का इलाज करवाकर रोग मुक्त हुई गौरा देवी - 

पूर्वी चंपारण के पिपरा कोठी प्रखंड की गौरा देवी जो 57 वर्ष की हैं। वह चक्रधे गांव की निवासी हैं । उन्हें कुछ समय पूर्व कालाजार का लक्षण दिखाई पड़ने लगा । जिसमें उन्हें बुखार ,भूख की कमी ,कमजोरी ज्यादा महसूस होने लगी । जिसके बाद उन्होंने पिपरा कोठी प्रखंड अस्पताल में अपना इलाज करवाया। जांच के बाद उन्हें कालाजार का मरीज घोषित किया गया। तब उन्होंने मोतिहारी के सदर अस्पताल में पुनः मेडिकल टीम के द्वारा जांच करायी। जिसमें उन्हें कालाजार के मरीज के रूप में चिह्नित किया गया। इसके बाद कालाजार वार्ड में 10 फरवरी 2022 को उनका उपचार किया गया। अब गौरा देवी कालाजार से रोग मुक्त हैं और पूरी तरह स्वस्थ हैं।

बालू मक्खियों के काटने से होता है कालाजार-

डीवीबीडीसीओ डॉ शरदचंद्र शर्मा ने बताया कि कालाजार बालू मक्खियों के काटने से होता है। 

पिछले कुछ वर्षों में स्वास्थ्य विभाग के अथक प्रयास व जागरूकता के कारण यह संभव हो पाया है कि जिले में कालाजार के मरीजों की संख्या काफी कम हो गई है। वीडीसीओ धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि कालाजार के मरीजों का फॉलोअप जांच 1 माह, 6 माह एवं 12 माह पर  की जाती  एवं रिपोर्ट को पुनः कामिश वेब पोर्टल पर अपलोड किया जाता है। जिसकी निगरानी जिला स्तर के पदाधिकारियों द्वारा की जाती है।

जिले में 4 सालों में कालाजार के 75 प्रतिशत मरीज हुए कम-

जिला वेक्टर बोर्न डिजिज कंट्रोल अधिकारी डॉ शर्मा ने बताया कि कालाजार बीमारी दो तरह का होता है। पहला पेट का कालाजार जिसे वीएल भी कहते हैं और दूसरा चमड़ी का कालाजार जिसे पीकेडीएल कहते हैं। उन्होंने बताया जिले में दोनों ही तरह के कालाजार संक्रमित मरीजों की संख्या में विगत 4 वर्षों  में काफी कमी आई है। डॉ शर्मा ने बताया कि 2018 में 196 वीएल और 51 पीकेडीएल मरीज पाए गए ।  2019 में 119 वीएल और 17 पीकेडीएल, 2020 में 69 वीएल 17 पीकेडीएल, 2021 में 52 वीएल 15 पीकेडीएल के मरीज पाए गए थे। वहीं जनवरी 2022 में कोई कालाजार का मरीज नहीं पाया गया है । जिले को कालाजार से मुक्त करने के अभियान में जल्द ही आशा व स्वास्थ्य कर्मियों को ट्रेनिंग दी जाएगी । पूर्वी चंपारण के 27 प्रखंडों में कालाजार के मरीजों की जांच व इलाज की सुविधाएं उपलब्ध है।

राज्य सरकार व भारत सरकार द्वारा कालाजार के मरीजों को की जाती है आर्थिक सहायता-

राज्य सरकार द्वारा कालाजार के मरीजों के आर्थिक सहायता हेतु 66 सौ रुपए दी जाती है। वहीं भारत सरकार द्वारा ₹500 अलग से दी जाती है। उन्हें कुल 7100 रुपयों की  आर्थिक सहायता दी जाती है।

कालाजार के रोगियों के प्रमुख लक्षण- 

वीडिसीओ धर्मेंद्र कुमार ने  बताया कालाजार में व्यक्ति को 2 हफ़्तों से ज्यादा बुखार , तिल्ली का बढ़ जाना, भूख नहीं लगना, वजन में कमी, चमड़े पर दाग होना तथा खून की कमी बड़ी तेजी से होने लगती है। 

छिड़काव के वक्त ध्यान में रखने वाली बातें-

समय समय पर जिले के कई प्रखंडों में कालाजार का छिड़काव किया जाता है। उन्होंने बताया  कालाजार के कीटनाशक का छिड़काव घरों की दीवार पर छह फुट तक होता था, अब वह पूरी दीवार पर हो रहा है।

- घर की दीवारों में पड़ी दरारों को भर दें , अच्छी तरह से घर की सफाई करें। खाने-पीने का सामान, बर्तन, दीवारों पर टंगे कैलेंडर आदि को बाहर निकाल दें। 

- भारी सामानों को कमरे के मध्य भाग में एकत्रित कर दें और उसे ढक दें।

-  रसोईघर, गौशाला सहित पूरे घर में पूरी दीवार पर दवा का छिड़काव कराएं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ