बिहार के एक जेल मे 86 कैदियों की स्क्रीनिंग में एक में टीबी की पुष्टि हुई।

  



शिवहर, 30 अप्रैल। जिला मुख्यालय स्थित मंडल कारा में स्वास्थ्य विभाग की ओर से शुक्रवार को टीबी बीमारी जांच शिविर का आयोजन किया गया। इस दौरान मंडल कारा में 86 कैदियों की स्क्रीनिंग की गई। 

इसमें से संभावित लक्षण वाले सात कैदियों की बलगम जांच सरोजा सीताराम सदर अस्पताल के प्रयोगशाला में करायी गयी। जिसमें से एक की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। रिपोर्ट पॉजिटिव आने के तुरंत बाद उसका इलाज भी शुरू कर दिया गया। साथ ही जेल में बंद कैदियों की एचआईवी जांच और काउंसलिंग भी की  गयी। इस अवसर पर जेल अधीक्षक डॉ दीपक कुमार और जिला यक्ष्मा केन्द्र के प्रतिनिधियों ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस तरह के शिविर नियमित रूप से आयोजित किये जाते हैं। स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा टीबी एवं एचआईवी से बचाव-उपचार और पोषण सहायता राशि के बारे में बताया गया। मौके पर एसटीएस पवन कुमार ठाकुर, आईसीटीसी पर्यवेक्षिका मधुबाला उपस्थित रही। 


समय पर इलाज जरूरी:


जिला यक्ष्मा केन्द्र से गये डीपीएस सुधांशु शेखर रौशन ने बताया कि टीबी एक जानलेवा बीमारी है। इसलिये इसका सही समय पर इलाज जरूरी है। यक्ष्मा की जांच व इसके इलाज की सुविधा सभी सरकारी चिकित्सा केंद्रों पर निःशुल्क उपलब्ध है। इसलिए रोग संबंधी किसी तरह का लक्षण होने पर तुरंत इसकी जांच कराते हुए इलाज शुरू कराना चाहिए। 


क्षय रोग उन्मूलन की दिशा में हो रहा सार्थक प्रयास:


सुधांशु शेखर रौशन ने कहा कि वर्ष 2025 तक देश को पूरी तरह यक्ष्मा से मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित है। इसे लेकर जिला टीबी विभाग द्वारा जरूरी प्रयास किये जा रहे हैं। टीबी मरीजों की पहचान से लेकर निःशुल्क दवा वितरण एवं निक्षय योजना के तहत लोगों को मिलने वाले लाभ को सुनिश्चित किया जा रहा है। 


फेफड़ों को करता है सबसे अधिक प्रभावित :


यक्ष्मा हमारे फेफड़ों को सबसे अधिक प्रभावित करता है। खांसी इसकी शुरुआती लक्षणों में से एक है। सूखी खांसी आना, इसके बाद खांसी के साथ-साथ बलगम व खून भी आने लगते हैं। दो हफ्ते या इससे ज्यादा समय तक खांसी होने पर तुरंत नजदीक स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर लोगों को यक्ष्मा की जांच करानी चाहिए।

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