बुद्ध पूर्णिमा पर दिया विश्व शांति, सत्य, अहिंसा एवं आपसी भाईचारे का संदेश।

 


बेतिया,16 मई।  सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के, डॉ0 एजाज अहमद अधिवक्ता अंतर्राष्ट्रीय पीस एंबेसडर सहा सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन, डॉ0 सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड ने संयुक्त रूप से बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर  कहा कि बुद्ध पूर्णिमा 2022 ,बुद्ध पूर्णिमा वैशाख महीने के दौरान ,मुख्य त्योहारों में से एक है, जो सिद्धार्थ गौतम की जयंती का प्रतीक है।जिन्हें बाद में भगवान बुद्ध के नाम से दुनिया जानती है।

बुद्ध पूर्णिमा, जिसे बुद्ध जयंती भी कहा जाता है! एक शुभ दिन है ,जो बौद्ध धर्म के संस्थापक, गौतम बुद्ध की जयंती का प्रतीक है।ऐसा माना जाता है कि आज से लगभग ढाई हजार वर्ष पूर्व ,इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।  बुद्ध पूर्णिमा की रात को पड़ती है, आमतौर पर अप्रैल एवं मई के बीच। यह भारत में एक राजपत्रित अवकाश है, इस वर्ष यह पर्व 16 मई  मनाया जा रहा है। इस अवसर पर,डॉ सुरेश कुमारअग्रवाल, डॉ एजाज अहमद, अमित कुमार लोहिया, डॉ शाहनवाज अली ने   कहा कि भारत एवं विश्व के विभिन्न देशों में बौद्धधर्मअपनाने वाले लोग सफेद कपड़े पहनना पसंद करते हैं।मांसाहारी भोजन का सेवन करने से बचते हैं,इसके बजाय, उनके पास 'खीर' होती है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि एक महिला ने गौतम बुद्ध को दूध का कटोरा दिया था।  आमतौर पर, इस दिन बौद्धों द्वारा आसपास के समुदायों से शिवालयों तक रंगीन जुलूस देखे जाते हैं,लोग बोधि वृक्ष के जड़ों में  पानी डालते हैं। भिक्षा देते हैं, एवं ध्यान करते हैं।बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर, कई भक्त बिहार के बोधगया में ,स्थित यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल, महाबोधि मंदिर जाते हैं । इस मंच के माध्यम से   हम उस स्थान से यानी बेतिया पश्चिम चंपारण से महात्मा बुद्ध को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जहां लगभग ढाई हजार वर्ष पूर्व बेतिया पश्चिम चंपारण के रमपुरवा नामक स्थान पर महात्मा बुद्ध ने शाही वस्त्र त्याग कर बौद्ध भिक्षु का वस्त्र धारण किया था । चंपारण की धरती से हम पूरी दुनिया से विश्व शांति मानवता एवं आपसी प्रेम का आह्वान करते हैं। बिहार का बोधि मंदिर वह स्थान है ,जहां कहा जाता है कि भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था।बुद्ध पूर्णिमा उत्सव शुद्धतम भावनाओं के साथ प्रार्थना करने और बौद्ध धर्म के लिए शांति, अहिंसा और सद्भाव को अपनाने के बारे में है। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि महात्मा बुद्ध ने सत्य अहिंसा विश्व शांति एवं आपदाओं से एकजुट होकर निपटने का जो संदेश महात्मा बुद्ध ने दिया था उस पर चलकर वास्तव में भारत समेत पूरे विश्व में स्थाई रूप से सुख शांति समृद्धि एवं विकास लाया जा सकते हैं !जिसका सपना हजारों वर्ष पूर्व महात्मा बुद्ध  हमारे ऋषि-मुनियों एवं हमारे पुरखों ने देखा था।

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