कानपुर l छत्रपति संस्थान समिति कानपुर के तत्वावधान में कोल्हापुर नरेश राजर्षि छत्रपति शाहू जी महाराज की 149 वीं जयंती भगवती ऑटोमोबाइल्स, के-ब्लॉक, किदवईनगर, परिसर में धूमधाम से मनाई गई।उनके चित्र पर माल्यार्पण के बाद विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता डॉ. अनिल कुमार कटियार ने की।गोष्ठी में वक्ताओं ने बताया कि छत्रपति शाहू जी महाराज ने अपने शासन काल में राजा होते हुए भी एक ऋषि जैसा जीवन जिया, वे भेष बदलकर अपनी प्रजा का हाल चाल लेते थे और तत्काल समस्याओं का निवारण करते थे।उन्होंने महिला हित में विधवाओं के पुनर्विवाह प्रथा लागू की, जनहित में बाल विवाह और बालश्रम पर प्रतिबंध लगाया, बालक-बालिकाओं की निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के आदेश दिए।समाज में एकरूपता लाने के लिए छुआछूत, भेदभाव, जाति भेद दूर करने के हर संभव प्रयास किए ।उनके राज्य में मराठा, हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और जैन धर्म के लोगों को उच्च शिक्षा देने के लिए महाविद्यालयों और छात्रावासों के निर्माण का काम प्रमुखता से किया गया था।उनके शासन में पहली बार गरीब, दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्गों के लोगों के जीवन स्तर को बदलने के लिए नौकरियों में 50 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया था इसीलिए सामाजिक परिवर्तन के प्रणेता के रूप में उन्हें पूरे भारत वर्ष में याद किया जाता है।इस मौके पर वरिष्ठ समाजसेवी मुन्नीलाल वर्मा, डॉ. अनिल कुमार कटियार, संजय कटियार, पवन कुमार वर्मा,प्रभात सिंह,अजय वर्मा, स्वपनिल पटेल, सौरभ वर्मा आदि ने शाहूजी के जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला और अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।बताते चलें कि वर्ष 1919में फूलबाग के मैदान में अखिल भारतीय कूर्मि क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय अधिवेशन में उन्हें राजर्षि की उपाधि से नवाजा गया था।
इससे पूर्व शाहूजी महाराजके प्रपौत्र एवं पूर्व राज्यसभा सांसद छत्रपति शंभाजी राजे के कानपुर में प्रथम आगमन के अवसर पर चकेरी एयरपोर्ट तथा विश्वविद्यालय परिसर में कूर्मि क्षत्रिय समाज के प्रतिष्ठित लोगों ने उनका भव्य स्वागत एवं सम्मान किया।
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