पश्चिमी चंपारण जिला में स्तनपान सप्ताह का हुआ शुभारंभ

  





बेतिया, 2 अगस्त।  जिले में विश्व स्तनपान सप्ताह का सोमवार को शुभारंभ हो गया। जिले के अनुमंडलीय अस्पताल, नरकटियागंज में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सुधीर कुमार की देख-रेख में मुख्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह अभियान पूरे एक सप्ताह 7 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान लोगों को स्तनपान के फायदे के बारे में जानकारी दी जाएगी। इसके तहत जिले के प्रखंडों में सप्ताह भर तमाम कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को स्तनपान कराने के फायदे के बारे में बताया जाएगा। सामुदायिक स्तर पर लोगों को स्तनपान के महत्व की जानकारी मिल सके और इस अभियान का सफलतापूर्वक संचालन हो सके, इसे लेकर कई निर्देश जारी किए गए हैं। कार्यक्रम की सफलता को लेकर जिले के अस्पतालों में आशा कार्यकर्ताओं व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के साथ बैठक कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। स्तनपान को लेकर लोगों को कैसे जागरूक करना है, स्तनपान का महत्व और इससे होने वाले फायदे कैसे बताना है समेत अन्य आवश्यक जानकारी आमलोगों तक पहुंचाकर जागरूक करने के लिए कहा गया है। अभियान के तहत शिशु के पोषण का आधार है, मां का दूध ही सर्वोत्तम आहार है जैसे नारे लगाकर लोगों को जागरूक किया जाएगा।


जन्म के एक घंटे के अंदर पिलाना शुरू करें दूध-


प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सुधीर कुमार ने बताया कि स्तनपान सप्ताह की शुरुआत जिले में सोमवार को हो गई है। इसे लेकर पूरे सप्ताह तमाम तरह के कार्यक्रम का आयोजन कर लोगों को स्तनपान का महत्व बताया जाएगा। उन्होंने बताया कि जन्म के एक घंटे के अंदर ही बच्चे को मां का दूध पिलाना शुरू कर देना चाहिए। मां का यह गाढ़ा-पीला दूध बच्चों के लिए अमृत के समान होता है। बच्चे के सर्वांगीण शारीरिक और मानसिक विकास के लिए जन्म से लेकर छह माह तक सिर्फ मां का दूध ही पिलाना चाहिए। इससे बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती  है जो  उसका बीमारियों से बचाव करता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने पर अगर बच्चा बीमार भी पड़ जाता है तो वह उससे आसानी से उबर जाता है। इसलिए मांओं को जन्म के बाद छह माह तक स्तनपान कराने पर जोर देना चाहिए।


छह माह के बाद दें पूरक आहार-


वही उपाधीक्षक डॉ सुनील कुमार ने बताया कि  जन्म के छह माह तक तो बच्चे को सिर्फ मां का ही दूध पिलाना चाहिए। इसके बाद बच्चे को पूरक आहार, जैसे कि खिचड़ी, खीर इत्यादि देना चाहिए। पूरक आहार देने के बाद भी बच्चे को दो साल तक मां का दूध अवश्य पिलाना चाहिए। तभी बच्चे का सर्वांगीण शारीरिक और मानसिक विकास हो पाता है। स्वस्थ शरीर का भी निर्माण होता है। इसलिए, स्तनपान कराने वाली सभी मांओं को पुराने ख्यालातों और अवधारणाओं से बाहर आकर दो वर्षों तक अपने शिशु को स्तनपान कराना चाहिए।


बच्चे से लेकर मां तक का होता है बचाव-


स्तनपान कराने से पांच वर्ष तक की उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में कमी आती है। साथ ही यह बच्चों को दस्त, निमोनिया समेत कई बीमारियों से बचाता है। इसके अलावा बच्चों की बौद्धिक क्षमता भी मजबूत होती है। इससे मांओं में भी स्तन कैंसर का खतरा कम हो जाता है। मोटापा, टाइप-2 मधुमेह का भी खतरा कम हो जाता है। कुल मिलाकार इससे बच्चे से लेकर मां तक का बचाव होता है। इस अवसर पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सुधीर कुमार, उपाधीक्षक डॉ सुनील कुमार, स्वास्थ्य प्रबंधक जितेन्द्र कुमार तथा जीएनएम विभा कुमारी, प्रीति कुमारी, किरण कुमारी सहित नवजात बच्चों की माताएं भी उपस्थित थीं।

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