जनता की इच्छा है कि बिहार में एक बेहतर राजनीतिक विकल्प बनें: प्रशांत किशोर




बेतिया, 28 अकटूबर। 27वें दिन आज प्रशांत किशोर ने लौरिया ब्लॉक के बगही में पत्रकारों से बात की। उन्होंने मीडिया के सामने पदयात्रा का अबतक का अनुभव साझा किया और आगे की रणनीति पर भी चर्चा की। प्रशांत किशोर ने बताया कि पदयात्रा के क्रम में वे हर दिन 15 से 20 किमी का सफर पैदल तय कर रहे हैं और हर 3 से 4 दिन के बाद एक दिन रुक कर सभी पंचायतों में जो समस्याएं लोग बता रहे हैं और जो हमें दिख रहा है, उसका संकलन करते जा रहे हैं। इसी संकलन के आधार पर हम पंचायत स्तर पर समस्याओं और उसके समाधान पर एक ब्लूप्रिंट जारी करेंगे। 

    प्रशांत किशोर ने जन सुराज के एक राजनीतिक दल बनने के मुद्दे पर कहा, मैं हर सभा में लोगों से पूछता हूं कि बिहार में एक बेहतर विकल्प बनाने के लिए मुझे दल बनना चाहिए या जो मैं अभी कर रहा हूं वो करना चाहिए। लगभग शत प्रतिशत लोग मुझे  बताते हैं कि हां बिहार में एक बेहतर विकल्प बनना चाहिए। लोग ये बता रहे हैं कि जिन पार्टियों और नेताओं को यहां वोट मिल रहा है, उसकी एक बड़ी वजह है विकल्प का नहीं होना। ज्यादातर लोगों ने मुझे बताया कि आप जो पदयात्रा के माध्यम से समाज को समझकर इसमें से सही लोगों को निकालने का प्रयास कर रहे हैं, इसी से बेहतर विकल्प बनेगा।" 

  अब तक सामने आई प्रमुख समस्याओं का जिक्र करते हुए प्रशांत किशोर ने बताया, "बिहार में पलायन की समस्या गंभीर है ये मुझे पहले से पता था। लेकिन ये इतनी भयावह है, इसका अंदाजा नहीं था। अब जब मैं गांवों में जा रहा हूं तो मुझे केवल बच्चे और महिलाएं दिखते हैं। सारे काम करने वाले लोग दूसरे राज्यों मजबूरी में रह रहे हैं। इसके अलावा जो लोग गांव में बचे हुए हैं उनमें गरीबी इतनी है कि ज्यादातर बच्चों के तन पर कपड़ा नहीं है। मैं देखता हूं कि ज्यादातर बच्चे और महिलाएं कुपोषण की शिकार हैं। गरीबी और असामनता इतनी है कि बड़ी संख्या में लोगों के पास खेती करने के लिए जमीन नहीं है। कम लोगों के पास बहुत अधिक जमीन और बड़ी संख्या में लोगों के पास कोई जमीन नहीं है।

   प्रशांत किशोर ने प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वच्छ भारत योजना और खुले में शौच मुक्त की स्थिति पर भी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि आवास योजना में भ्रष्टाचार चरम पर है। बिना पैसे के किसी को योजना का लाभ नहीं मिलता। सरकार के अधिकारी लोगों से पैसे लेते हैं और केवल कागजों पर शौचालय बन रहा है। कोई ऐसा गांव अब तक नहीं मिला जो खुले में शौच से मुक्त हो, ज्यादातर खुली सड़कों पर बिना मुंह पर गमछा रखे आप नहीं जा सकते। ग्रामीण सड़कों की हालत इतनी खराब है कि आप इसकी तुलना लालू जी के कार्यकाल से कर सकते हैं। बिजली के क्षेत्र में काम हुआ है, लेकिन सैकड़ों लोगों ने मुझसे शिकायत कि की भईया बिजली का बिल बहुत ज्यादा आता है। इसमें कुछ गड़बड़ियां हैं। शिक्षा व्यवस्था कि पोल खोलते हुए उन्होंने कहा कि शायद ही मुझे कोई स्कूल अब तक मिला है जहां बच्चे, शिक्षक और भवन तीनों हो। 

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