विश्व विभूति तथा भारत रत्न बाबासाहेब डॉ0 भीमराव अंबेडकर की 66 वी महापरिनिर्वाण दिवस, आप भी याद करे

 


  सन् 18 91 में अवतरित होने वाले महामानव भीमराव  जिन्हें भारत रत्न  1992 में भारत सरकार ने एवं 1917 में कोलंबिया विश्वविद्यालय ने उनके शोध कार्य के लिए डॉक्टर की मानद उपाधि से सम्मानित किया, बाद में 1923 में लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स ने प्रॉब्लम रुपीस एंड सलूशन पर डॉक्टर की उपाधि से सम्मानित किया ,बाबा साहब को समय-समय पर प्रकृति द्वारा सहयोग सानिध्य प्राप्त होता रहा, भास्करराव जाधव एवं छत्रपति शाहूजी महाराज के सानिध्य में भारत में विधि मंडल के गठन में भारतीयों की भागीदारी का जिक्र करते हुए प्रतिनिधिमंडल के रूप में 1917 में साउथबॉरो कमीशन के समक्ष प्रस्तुत हुए, और प्रतिभा एवं सोच की धमक वायसराय तक पहुंचा दी,मूकनाएक, जैसे अखबार की स्थापना में संपादक की भूमिका निभा कर देश के 90% लोगों की आवाज बने, 1928 में साइमन कमीशन को देश की सामाजिक स्थिति का भौतिक सत्यापन कराया एवं एवं 1930, 31 एवं 32 में गोलमेज सम्मेलन में अपनी सोच एवं मजबूती का सिक्का जमाया तथा वायसराय को भारतीयों के पक्ष में सामाजिक तथा राजनीतिक फैसला लेने पर मजबूर किया। 24 सितंबर 1932 को यरवदा जेल में महात्मा गांधी की जान बचाते हुए लोकसभा में 131 सीटें मूल निवासियों के लिए प्राप्त कर भारत के सर्वांगीण विकास में सबकी भागीदारी सुनिश्चित की। देश की आजादी प्रथमत: समाज से शुरू हो इसके वे आग्रही थे ,अपने 90 भाग समाज को सम्मान एवं सही मान दिला कर देश के नवनिर्माण में बराबर की भागीदारी बनाना चाहते थे, एक उच्च कोटि के विद्यार्थी जिन्होंने अपने नाम 32 डिग्रियों का कीर्तिमान तथा निजी पुस्तकालय में 20,000 पुस्तकों का संग्रह कर विश्व में अद्वितीय मिसाल कायम की, भारत के निर्माण का मूल दस्तावेज कैबिनेट मिशन के प्रस्ताव पर जब तैयार करने की बात हुई तो ,मा. गांधीजी एवं राजेंद्र बाबू के आग्रह पर वे तैयार हुए तथा भारतीय संविधान के ड्राफ्टिंग कमिटी के चेयरमैन के रूप में अथक प्रयास एवं परिश्रम कर विश्व का सबसे सुंदर लिखित संविधान 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में बना कर तैयार किया, देश हित में त्याग करने  में उन्होंने अपने चार बच्चे कुर्बान कर दिए तथा भारत की  आधी आबादी को देश में सम्मान सुरक्षा तथा भागीदारी दिलाने हेतु हिंदू कोड बिल बनाया तथा राष्ट्रीय लोगों ने जब बिल को पास नहीं करने की जिद की तो प्रथम कानून मंत्री ने पिछड़ों तथा महिलाओं हेतु अपना त्यागपत्र दे दिया ,जिसे बाद में नेहरू जी ने कानून का दर्जा देकर उन्हें सम्मानित किया।

भारतीय रिजर्व बैंक उन्हीं की शोध प्रबंध का परिणाम है, भारत में डेमो की स्थापना से लेकर महिलाओं की मातृत्व अवकाश तथा सप्ताहिक छुट्टी से लेकर प्रोविडेंट फंड जैसे तथा युवकों के लिए रोजगार आयोग की स्थापना उन्हीं की सोच एवं बुद्धिमता का परिणाम है।

  राष्ट्रीय एकता अखंडता की बात करें तो देश की विभाजन को विरोध करने तथा धारा 370 का पुरजोर खंडन करने वाले प्रथम भारतीय थे उन्हीं की  बुद्धिमता का कमाल है, कि, 35a को हटाकर कश्मीर को नरेंद्र मोदी जी ने अखंड किया है, पत्नी के देहावसान  पश्चात हिंदू धर्म की मान्यताओं से तंग आकर उन्होंने बौद्ध धर्म 14 अक्टूबर 1956 को 10,00000 अनुयायियों को दीक्षा दिला कर सारी दुनिया को अमर संदेश देते हुए 6 दिसंबर 1956 को पंचतत्व में विलीन हो गए आज सारा भारत ही नहीं सारी दुनिया उनके कार्यों एवं समाज के प्रति उनकी सोच तथा दर्द के प्रति कृतज्ञ है ।

     

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