समझदारी और हिम्मत से दिया टीबी को मात, अब मरीजों को दिखा रहे उपचार की राह

  



पटना, 18 जनवरी।  एक सामान्य परिवार जहाँ किसी भी मूलभूत सुविधा की कमी नहीं थी उसका सदस्य होने के बावजूद मुझे टीबी ने अपने चपेट में लिया. इसने मुझे सोचने पर मजबूर किया कि अगर मेरे जैसे व्यक्ति को यह रोग हो सकता है तो समाज के हाशिये पर रह रहे लोगों के लिए यह तो एक विकट स्वास्थ्य समस्या है. हाशिये पर रक् रहे लोगों के पास जानकारी एवं सुविधाओं का अभाव को देखकर मैंने निश्चय किया कि समुदाय से टीबी को दूर करने के लिए कुछ करूँगा”, यह कहना है पटना के पालीगंज प्रखंड के 32 वर्षीय कृष्णा कुमार का जो खुद टीबी के मरीज रह चुके हैं. इन्होने समझदारी का परिचय देते हुए ससमय जांच करवाई और चिकित्सकों द्वारा बताई गयी दवाओं का नियमित सेवन कर टीबी को मात देने में सफलता पायी। 

  

टीबी मुक्त वाहिनी के गठन में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका:


टीबी मुक्त वाहिनी के गठन में कृष्णा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. कृष्णा मानते हैं कि टीबी मुक्त वाहिनी एक ऐसा मंच है जो समुदाय में लोगों को टीबी रोग की गंभीरता को समझाने में अहम् भूमिका निभा रहा है. कृष्णा ने बताया कि वाहिनी के सदस्य के रूप में समुदाय से एकाकार होकर उन्हें लोगों के मन में बैठी भ्रांतियों को समझने का मौका मिला. उन्होंने बताया कि जानकारी के अभाव में लोग टीबी के लक्षणों को अनदेखा करते हैं और उपचार के अभाव में यह रोग जानलेवा साबित होता है. समुदाय को यह समझाने में कठिनाई हुई कि लगातार कई दिनों तक खांसी का होना टीबी का संक्रमण हो सकता है. यह एक संक्रामक रोग है जो ग्रसित व्यक्ति से दूसरों को फैलता है. कृष्णा ने बताया कि नियमित संपर्क साधकर लोगों को जागरूक करने में सफलता मिली और यह दिल को सुकून देने वाला अनुभव रहा। 


करीब 300 टीबी मरीजों को दिखाया उपचार का मार्ग:


कृष्णा अब एक टीबी चैंपियन के रूप में टीबी से ग्रसित रोगियों को उपचार का मार्ग दिखा रहे हैं. संदिग्ध रोगियों को चिन्हित कर पालीगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाकर वह उनकी जांच करवाते हैं जहाँ टीबी के उपचार की समुचित व्यवस्था है. मरीजों को ससमय दवा उपलब्ध हो जाये यह सुनिश्चित करते हैं. अभी तक वह करीब 300 टीबी मरीजों को सरकारी चिकित्सीय संस्थानों से जोड़कर उनकी मदद कर चुके हैं. कृष्णा मानते हैं कि समुदाय से निरंतर संपर्क में रहकर उनके स्वास्थ्य समस्याओं को समझने में उन्हें मदद मिलती है. उनका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग लगातार होने वाली खांसी के उपचार के लिए घरेलु उपाय अपनाते हैं अथवा ग्रामीण स्तर पर कार्यरत झोलाछाप डॉक्टर से संपर्क करते हैं. कृष्णा ने बताया कि उनका मुख्य उद्देश्य लोगों को समझाना है कि लगातार होने वाली खांसी, तेज बुखार जैसे लक्षणों को हलके में नहीं लेकर तुरंत सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करना चाहिए। 


टीबी मरीज करें सिस्टम पर भरोसा- डॉ. आभा

    

पालीगंज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. आभा कुमारी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है. ज्यादा से ज्यादा टीबी मरीजों को चिन्हित कर उन्हें ससमय उपचार की सेवा देना हमारा लक्ष्य है. उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा टीबी मरीजों के लिए सभी सुविधा निशुल्क है. संदिग्ध मरीजों की निशुल्क जांच एवं दवा तथा उनके पोषण का ध्यान भी सरकार रख रही है. एक टीबी चैंपियन के रूप में कृष्णा कुमार समुदाय में जागरूकता फैलाने का अहम् काम कर रहे हैं और उन्हें सरकार द्वारा उपलब्ध करायी गयी चिकित्सीय सुविधाओं से जोड़ रहे हैं. विभाग उनके द्वारा किये जा रहे कार्यों की सराहना करता है। 

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