बेतिया मे स्वतंत्रता सेनानी व पत्रकार पीर मोहम्मद मोनिश की 142 वी जन्म दिवस मनाया गया।



  पटना, 30 मई।  कलम की स्वाधीनता के सिपाही चंपारण सत्याग्रह के महानायक महान स्वतंत्रता सेनानी पीर मोहम्मद मोनिश की 142 वी जन्म दिवस एवं हिंदी पत्रकारिता दिवस पर दी दिया सामाजिक एकता अहिंसा एवं प्राकृतिक आपदाओं से मुक्ति का संदेश।आज 30 मई 2023 को कलम की स्वाधीनता के सिपाही चंपारण सत्याग्रह के महानायक महान स्वतंत्रता सेनानी पीर मोहम्मद मुनीश की 142 वी जन्मदिवस पर अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेसडर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एजाज अहमद , अमानुल हक महा सचिव भारतीय ऑल मीडिया पत्रकार संघ, डॉ एवं डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड, डॉ शाहनवाज अली डॉ अमित कुमार लोहिया, मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट की निदेशक एस सबा डॉ महबूब उर रहमान ने  महात्मा गांधी ,कस्तूरबा गांधी, पीर मोहम्मद मुनीश एवं स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आज ही के दिन आज से 141 वर्ष पूर्व 30 मई 1882 ई0 को पीर मोहम्मद मुनीश का जन्म बेतिया पश्चिम चंपारण की धरती पर हुआ था ।उनके पिता का नाम फतिगंन मियां था ! उनका सारा जीवन देश की आज़ादी के लिए समर्पित रहा । उन के जीवन का असल मक़सद देश में हिन्दू-मुस्लिम एकता क़ायम रखना था एवं भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना था, जिसका सपना हमारे पुरखों ने देखा था।
चम्पारण सत्याग्रह की पृष्ठभूमि तैयार करने व गांधी जी को चम्पारण लाने में पीर मुहम्मद मुनिस एवं पंडित राजकुमार शुक्ल की भूमिका अहम है ।
सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ0 एजाज अहमद, डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल , डॉ अमित कुमार लोहिया  बिहार विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के शोधार्थी डा0 शाहनवाज अली ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों एवं देश पर मर मिटने वाले शहीदों के सम्मान में सरकार बेतिया पश्चिम चंपारण में विश्वविद्यालय एवं राष्ट्रीय संग्रहालय का निर्माण कराएं ताकि नई पीढ़ी देश की स्वाधीनता के लिए अपने पुरखों के के बलिदान को जान सके। कलम के स्वाधीनता के सिपाही चंपारण सत्याग्रह के महानायक एवं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को चंपारण की धरती पर लाने वाले पीर मोहम्मद मुनीश एवं स्वतंत्रता सेनानियों के परिजन आज आर्थिक तंगी के साथ जिंदगी जी रहे हैं । पीर मोहम्मद मुनीश के पोते स्वर्गीय कासिम साहब के वंशज आज गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं । यही हाल देश के शहीदों एवं स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों का है। अवसर पर वक्ताओं ने कहा पीर मोहम्मद मुनीश हिन्दी भाषा के एक अच्छे लेखक और साहित्य प्रेमी थे. बल्कि सच पूछे तो बिहार में अभियानी हिन्दी पत्रकारिता के जनक थे! लेकिन यह विडम्बना ही है कि पत्रकारिता की किताबों में उनका ज़िक्र शायद ही कहीं मिले!मुस्लिम होते हुए भी वे हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए जी-जान से लगे रहे।हिन्दी के विकास में उनका योगदान उल्लेखनीय है! बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के पंद्रहवें अध्यक्ष बनाए गए थे । पीर मोहम्मद मुनीश के लेख उस दौर पर प्रसिद्ध ‘नया ज़माना’, ‘नव जीवन’, ‘स्वदेश’, ‘पाटलीपुत्र’ जैसे दर्जनों पर्चो व अखबारों में छपते रहे। इस अवसर पर वक्ताओं ने सामाजिक एकता अखंडता अहिंसा एवं प्राकृतिक आपदाओं से एकजुट होकर की पढ़ने की अपील की ताकि समस्त मानव जाति को मानव इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदीयों बचाया जा सके! एवं धरती पर फिर से सुख शांति समृद्धि और विकास आ सके।

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