साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था 'अनुराग' द्वारा लोकप्रिय कवि किशोरी लाल अंशुमाली की पुण्यतिथि मनाई गई

 

बेतिया, 10 जुलाई l   तुमने सब कुछ किया अपने घर के लिए, बोलो क्या-क्या किया इस शहर के लिए, छत पे तुमने उगाए हजारों सुमन, कोई बरगद नहीं है डगर के लिए। ये पंक्तियां हैं लोकप्रिय कवि स्मृतिशेष किशोरी लाल अंशुमाली की। नगर की साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था 'अनुराग' द्वारा लोकप्रिय कवि किशोरी लाल अंशुमाली की पुण्यतिथि के अवसर पर उनकी स्मृति में डाॅ. जगमोहन कुमार के निवास पर काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्था के संरक्षक पं. चतुर्भुज मिश्र ने कहा कि अंशुमाली की व्यक्तिगत एवं लेखन की सहजता, सरलता, आकर्षण एवं प्रभाव के कारण वे आज भी जीवंत है। कार्यक्रम की शुरुआत उपस्थित अनुरागियों द्वारा अंशुमाली के तैलचित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्पण से शुरू हुई। गोष्ठी के संचालक व संस्था के प्रवक्ता डॉ. जगमोहन कुमार ने पहले अंशुमाली की रचना का पाठ किया। बाद में अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए कहा कि 'जो समझा सबको समझाना बहुत कठिन है, सच्चाई को भी बतलाना बहुत कठिन है। अरुण गोपाल ने कहा कि 'नादान थे दुश्मन को हम यार किए बैठे, क़ातिल की अदाओं से हम प्यार किए बैठे। जय किशोर जय ने पढ़ा कि 'सखियां सरकत जात सवनवा, सजन बिन सुन भवनवा ना। चन्द्रिका राम ने कहा कि 'क्या-क्या होता आज जगत में कैसे-कैसे होते लोग, स्वार्थ साधना लेकर मन में क्या-क्या करते रहते लोग। प्रशांत सौरभ ने कहा कि खोट बहुत बाटे भइया रउरा दनइया में, अपना के झूठे रऊआ मनिले मनइया में। मौके पर लालबाबू शर्मा, धनुषधारी उरांव, राज कुमार, बब्लू कुमार, राम कुमार आदि उपस्थित थे।

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