Bettiah: अनुराग द्वारा कवि स्व.किशोरी लाल अंशुमाली की पुण्यतिथि पर काव्य गोष्ठी का आयोजन

 


बेतिया, 11 जुलाई। साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था 'अनुराग', बेतिया द्वारा कविवर स्व. किशोरी लाल अंशुमाली की पुण्यतिथि के अवसर पर उनके आवास पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में साहित्यकारों ने अंशुमाली के तैल चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। स्वागत संबोधन उनके पुत्र अजय अंशुमाली ने किया। डॉ. जफर इमाम ने अंशुमाली के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। अध्यक्षता कर रहे लोकप्रिय साहित्यकार डॉ. गोरख प्रसाद 'मस्ताना' ने कहा कि यथा वेदना किसी की भी हो खुशियों में अनुवाद करें, उनकी ऑंखों के ऑंसू से हम स्नेहिल संवाद करें। सुरेश गुप्त ने कहा कि कभी खामोश रहती है कभी इज़हार करती है, बड़े मासूम लहज़े में सियासत वार करती है। अरुण गोपाल ने कहा कि घात सहकर भी सदा साथ दिए जाते हैं, अम्न के वास्ते हम जहर पिए जाते हैं। प्रो. कमरुज्जमां कमर ने पढ़ा कि आप को लोग कम समझते हैं, आप क्या हैं ये हम समझते हैं। डॉ. जाकिर हुसैन ने कहा कि दिल दिया खुदा ने आपको दिल किसी का अब ना तोड़िए, मन की बातें हो चुकी बहुत दिल से दिल को अब तो जोड़िए। डॉ. दिवाकर राय ने पढ़ा- कि आरे पिया, बरसे झमाझम बदरिया, रोपनिया करीं ए पिया। भर-भर कोला पानी भइल बा, जाईं ना बान्हीं डड़ेरिया पिया। संचालन करते हुए अनुराग के प्रवक्ता डॉ. जगमोहन कुमार ने कहा कि सिद्धि पाना है गर साधना कीजिए, बुद्धि निर्मल रहे कामना कीजिए, कोई ऊॅंची ऊॅंचाई को चाहे जो मन, दुर्विचारों का फिर सामना कीजिए। कार्यक्रम में उपस्थित देवेन्द्र भारती, क्षितिज व्यास, रघुनाथ आर्य, संजय आर्य, दिलशाद अहमद, धर्मेन्द्र सर्राफ, राज कुमार मुखिया, विनय कुमार, आफताब रौशन, संजय कुमार राव, मधुसूदन गुप्ता आदि ने अंशुमाली को सहजता, सरलता एवं विनम्रता का धनी व्यक्तित्व बताया।

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