बेतिया राज के ऐतिहासिक धरोहरो एवं दस्तावेजों को कंप्यूटराइज कर हजारों वर्षों के ऐतिहासिक धरोहरो एवं विलुप्त पांडुलिपियों को संरक्षित कर जीवंत करें सरकार।

 


बेतिया, 26 मार्च।  सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में, शिक्षाविद ,कला प्रेमी, बेतिया राज के अंतिम महाराजा हरेंद्र किशोर सिंह की 129 वीं पुण्यतिथि पर सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ,बुद्धिजीवियों एवं छात्र छात्राओं ने भाग लिया। इस अवसर पर ब्रांड एंबेसडर स्वच्छ भारत मिशन सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता, डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड, डॉ शाहनवाज अली ,वरिष्ठ अधिवक्ता शंभू शरण शुक्ल, नवीदु चतुर्वेदी एवं अमित कुमार लोहिया ने संयुक्त रूप से  महाराजा हरेंद्र किशोर सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला। ऐतिहासिक बेतिया राज के महाराजा हरेंद्र किशोर सिंह का जन्म, मार्च 1854 ई0 में हुआ था ।संतान नहीं होने के कारण 39 वर्ष की आयु में 2 मार्च 1893 ई0 को पहली पत्नी महारानी शिवरतन कुंवर के अनुरोध पर, महारानी जानकी कुंवर से विवाह कोलकाता स्थित बेतिया राज के महल में हुआ था ।मात्र 22 दिन ही सुहागन रही महारानी जानकी कुंवर।आज ही के दिन आज से 129 वर्ष पूर्व 26 मार्च 1893 ई0 को बेतिया के महाराज हरेंद्र किशोर सिंह का हृदय गति रुकने से निधन हो गया था। 24 मार्च 1896 ई0 को महाराजा हरेंद्र किशोर सिंह की पहली पत्नी, महारानी शिव रतन कुंवर की मृत्यु के बाद बेतिया राज की महारानी के रूप में महारानी जानकी कुंवर ने पदभार ग्रहण किया। लगभग अपने 1 वर्ष के शासनकाल में महारानी जानकी कुंवर ने महाराजा हरेंद्र किशोर सिंह के सपने को साकार करते हुए अनेक रचनात्मक कार्य किए ताकि बेतिया के आम जनों के जीवन को सरल एवं सुलभ बनाया जा सके। महारानी जानकी कुंवर ने अपने 1 वर्ष के शासनकाल में बेतिया मेडिकल कॉलेज के लिए एक बड़ी धनराशि मुजफ्फरपुर स्थित बैंक में जमा कराई ताकि बेतिया में उच्च श्रेणी का मेडिकल कॉलेज ,अस्पताल स्थापित हो एवं देश-विदेश से लोग इलाज के लिए बेतिया की तरफ रुक करें । महारानी जानकी कुंवर का मेडिकल कॉलेज अस्पताल का सपना लगभग 110 वर्ष बाद पूरा हुआ । महाराजा हरेंद्र किशोर सिंह एवं उनके उत्तराधिकारियों ने मंदिरों , धर्मशालाओ एवं अनेक पाठशालाओं की स्थापना कराई । महारानी जानकी कुंवर ने महाराजा हरेंद्र किशोर की मृत्यु के बाद अफगानिस्तान से लेपिस जूई नामक हीरा को मांगा कर भारत के राजा रजवाड़ों के बीच चर्चा का विषय बन गई। जनता द्वारा किए गए उनके कार्यों से अंग्रेज नाखुश थे । इसी बीच एक षड्यंत्र के तहत 1897 ई0 को महारानी जानकी कुंवर को मानसिक रूप से बीमार घोषित करते हुए बेतिया राज कोर्ट ऑफ 

वार्डस के हवाले कर दिया गया। आज भी कोर्ट ऑफ वर्ड्स के अंतर्गत बेतिया राज सामाजिक एवं प्रशासनिक उदासीनता का शिकार है। हजारों वर्षों के ऐतिहासिक धरोहर एवं दस्तावेज नष्ट हो रहे हैं, इन बहुमूल्य दस्तावेजों को दस्तावेजों को अविलंब कंप्यूटराइज करने की आवश्यकता है। सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन ने विभिन्न अवसरों पर विभाग के प्रधान सचिव एवं तत्कालीन जिलाधिकारी से इस पर बात की थी ।महारानी जानकी कुंवर बेतिया से इलाहाबाद 07 अटैची रोड स्थित, बेतिया राज महल में चली गई ।लेकिन प्रत्येक वर्ष  त्रिवेणी संगम पर आती और 1 वर्ष की योजना बनाकर चली जाती !अपने 84 वर्ष की लंबी आयु के बाद 27 नवंबर 1954 को 07 अटैची रोड स्थित बेतिया राज के महल में महारानी ने अंतिम सांस ली। स्मरण रहे कि सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं बेतिया पश्चिम चंपारण वासी महारानी जानकी कुंवर की 152 वी जन्म  वर्ष मना रहे है । जो मार्च 2023 तक चलेगा। इस अवसर पर विभिन्न सामाजिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। भारत की स्वाधीनता की 75 वीं वर्षगांठ आजादी का अमृत महोत्सव वर्ष पर  वक्ताओं ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि कला संस्कृति एवं युवा विभाग (संग्रहालय निदेशालय) द्वारा स्थापित बेतिया संग्रहालय आज बंद पड़ा हुआ है। बेतिया संग्रहालय के प्रभारी डॉ शिवकुमार भी बेतिया संग्रहालय को जीवंत करने के लिए काफी इच्छुक हैं, इस अवसर पर डॉ एजाज अहमद सुरेश कुमार अग्रवाल अमित कुमार लोहिया, डॉ शाहनवाज अली, नवीदूं चतुर्वेदी ने कहा कि महारानी जानकी कुंवर 152 वी जन्म वर्ष को जन जागरण के रूप में मनाया जा रहा है। जिसमें स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक किया जाएगा! साथ ही समाज में विभिन्न प्रकार की सामाजिक कुरीतियों से मुक्ति पाने के लिए कलाकारों द्वारा कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे । बेतिया राज के लगभग 1000 से 5000 वर्षों तक के गौरवशाली रिकॉर्ड रूम को कंप्यूटराइज करने की मांग थी ताकि बहुमूल्य धरोहरों को संरक्षित किया जा सके ।साथ ही बेतिया राज को 125 वर्ष बाद कोर्ट ऑफ़ वार्डस मे रचनात्मक सुधार करने की मांग की।

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