बेतिया, 19 अक्टूबर। "जल ही जीवन है" की चार खुबसूरत शब्दों में जीवन के सारे सार विराजमान हैं, में से "जल" की नैसर्गिक आजादी को बचाये रखने के लिए "नागरिक अधिकार संघर्ष समिति" , पश्चिम चम्पारण द्वारा अपने चरणबद्ध आंदोलन के अगले चरण में दुबारा समाहरणालय-बेतिया के समक्ष एक दिवसीय धरना प्रदर्शन का आयोजन 11:00 बजे दिन से अजय कुमार गिरी, वरिष्ठ कांग्रेस नेता की अध्यक्षता में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार प्रारंभ किया गया धरना का मुख्य मकसद
Government of India, Ministry of Jal Shakti Department of Water Resources, River Development & Ganga Rejuvenation
CENTRAL GROUND WATER AUTHORITY, पटना के File No. CGWB/MER/SC/WNOC के आदेश के खिलाफ, जिसमें 10, 000 =00 रुपये (दस हजार रुपये) पेयजल स्रोत - चापाकल, बोरिंग वगैरह भूमिगत पेयजल प्राप्त करने के साधन, प्रति ईकाई बिल्कुल ही अलोकतांत्रिक, गैरकानूनी और मानवाधिकार के खिलाफ है। इसे तत्काल प्रभावहीन किया जाय।
धरना स्थल पर बेतिया नगर निगम क्षेत्र के अतिरिक्त जिला के अन्य नगर निकायों मसलन बगहा, नरकटियागंज, रामनगर, चनपटिया, नव गठित नप लौरिया और मच्छरगांवा के प्रतिनिधि भारी संख्या में भाग लिए।
धरना को सर्वश्री रवींद्र सिंह, संयोजक, नागरिक अधिकार संघर्ष समिति, पश्चिम चम्पारण, डॉ0 अमानुल हक वरीय पत्रकार, पश्चिम चम्पारण, अब्दुल कलाम जौहरी, वरीय कांग्रेस नेता, विजय कश्यप, राष्ट्रीय संयोजक, प्रबुद्ध भारती, आलमगीर हुसैन, सचिव, राष्ट्र सेवा दल, पश्चिम चम्पारण, श्रीमती अनवरी खातुन, सामाजिक कार्यकर्ता, सिकन्दर कुमार, सुभाष सिंह, अवधकिशोर जी, शशि पासवान, रोहन कुमार वगैरह ने अपने-अपने अनमोल विचार रखे और सामुहिक रुप से वक्ताओं ने सरकार को इस तुगलकी काले फरमान को शीघ्रता शीघ्र वापस लेने की चेतावनी दी और ऐसा नहीं करने पर आन्दोलन को और तेज करने के प्रति आगाह भी किया गया। मांग से संबंधित स्मार-पत्र जिला पदाधिकारी, पश्चिम चम्पारण को रवींद्र सिंह के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल द्वारा सौपा गया।
साथ ही धरना स्थल पर सैकड़ों की संख्या में स्त्री पुरुष मौजूद रहे ।
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