महात्मा गांधी एवं कस्तूरबा गांधी ने चंपारण की धरती पर मनाया था "राष्ट्रीय सद्भावना एवं खुशियों का त्योहार दीपावली एवं छठ‍"।

 



 दुनिया को दिया था सामाजिक सद्भावना स्वच्छता स्वास्थ्य  नारीशिक्षा बाल विवाह  एवं विभिन्न सामाजिक कुरीतियों से मुक्ति का संदेश।                


 चंपारण सत्याग्रह के समयमहात्मा गांधी की सामाजिक जागृति अभियान में कस्तूरबा गांधी एवं चंपारण की महिलाओं की रही अहम भूमिका। 

                       (शाहीन सबा की रिपोर्ट)

पटना, 23 अक्टूबर।  सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में "दीपावली, छठ ,स्वच्छता एवं महात्मा गांधी"पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया ,जिसमें अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता ,डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड, डॉ शाहनवाज अली, डॉ अमित कुमार लोहिया, वरिष्ठ अधिवक्ता शंभू शरण शुक्ल, सामाजिक कार्यकर्ता नवीदूं चतुर्वेदी, डॉ मोहमद महबुब उर रहमान एवं अल बयान के सम्पादक डॉ सलाम ने संयुक्त रूप से कहा कि महात्मा गांधी ने सत्याग्रह के पड़ाव में कस्तूरबा गांधी एवं चंपारण वासियों के साथ सामाजिक जागृति एवं जन जागरण अभियान को नई दिशा प्रदान करने के लिए चंपारण सत्याग्रह के समय दीपावली के एक दिन पूर्व 13 नवंबर 1917 को चंपारण के ढाका प्रखंड के बड़हरवा लखन सेन में प्रथम विद्यालय की स्थापना की। स्मरण रहे कि 13 नवंबर 1917 को छोटी दीपावली एवं 14 नवंबर 1917 को लक्ष्मी पूजा" दीपावली" का त्यौहार काफी धूमधाम से मनाया गया था। इसके साथ ही दीपावली के 2 दिन बाद 16 नवंबर 1917 को महात्मा गांधी ने चंपारण के ऐतिहासिक भितिहरवा गांव पहुंचकर ऐतिहासिक भितिहरवा गांव में विद्यालय स्थापित करने की रूपरेखा तैयार की तथा 20 नवंबर 1917 को चंपारण के भितिहरवा गांव में विद्यालय स्थापित कर दिया गया ।साथ ही कक्षा का भी आरंभ हुआ। इस कार्यक्रम में कस्तूरबा गांधी एवं चंपारण की महिलाओं ने अतुल योगदान दिया । महात्मा गांधी एवं कस्तूरबा गांधी ने चंपारण की धरती पर दीपावली एवं छठ मनाने का  उद्देश्य यह रहा कि लोगों में कैसे राष्ट्रीय सद्भावना स्वच्छता स्वास्थ्य बाल विवाह उन्मूलन एवं विभिन्न सामाजिक कुरीतियों से मुक्त के लिए आम जनमानस में जागृति लाया जाए।

महात्मा गांधी ने किसानों एवं चंपारण वासियोंकी दुर्दशा के बारे में सुनकर चंपारण पहुंचे थे। चंपारण सत्याग्रह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए मील का पत्थर साबित हुआ ।देखते ही देखते लगभग 30 वर्षों के भीतर ही भारत 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हो गया।

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