बेतिया, 15 जनवरी। राज्य के शिक्षा मंत्री के रामचरित मानस संबंधी बयान के बाद भाजपा नेताओं द्वारा सड़कों पर बावेला मचाने और साधु संतों द्वारा दियदिये जा रहे धमकी के बीच भाकपा-माले केन्द्रीय कमिटी सदस्य सह सिकटा विधायक वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने कहा है कि कोई भी ग्रंथ आलोचना से परे नहीं है. किसी भी ग्रंथ में स्त्री और शूद्र विरोधी जिक्र है तो उस पर पक्ष विपक्ष में बहस और तर्क हो सकते हैं लेकिन अयोध्या के एक आचार्य द्वारा जीभ काटने वाले को 10 करोड़ का इनाम देने की घोषणा करना तथाकथित आचार्य द्वारा खुल्लमखुल्ला हिंसा का आह्वान है. सरकार को इसके खिलाफ कारवाई करनी चाहिए. इसका भी जांच होनी चाहिए कि इस साधु के पास इतना पैसा कहां से आया है? आगे माले विधायक वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि भाजपा बताए महिलाओं-दलितों को समाज में दोयम दर्जे का स्थान देने वाली चौपाइयों से इतना प्रेम क्यों है, और जीभ काटने वालों को 10 करोड़ का इनाम देने जैसी हिंसक व उन्मादी बातें करने वाले तथाकथित साधुओं पर जबान क्यों नहीं खोल रही है, क्या इन साधुओं पर मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी की मांग करेंगी ?
माले विधायक ने आगे कहा कि तुलसी के स्त्री और दलित (शूद्र) विरोधी चरित्र को लेकर तुलसी दास के प्रशंसक रामचंद्र शुक्ल और रामविलास शर्मा ने भी उनके इस पक्ष को खारिज की है। इसके अलावा हजारी प्रसाद द्विवेदी, शिवदान सिंह चौहान, डॉक्टर बच्चन सिंह, राहुल सांकृत्यायन, डॉ नगेंद्र, रांगेय राघव, नामवर सिंह, नागार्जुन, प्रेमचंद, मैनेजर पांडेय आदि सभी ने इसकी कटु आलोचना की है।
यहां तक दयानंद सरस्वती के 'आर्य समाज' और फूले के 'सत्यशोधक समाज, राजा राममोहन राय के 'ब्रह्म समाज', केशव चंद और रानाडे के 'प्रार्थना समाज, विवेकानंद, गाँधी, अंबेडकर और पेरियार आदि सभी ने ऐसे प्रसंगों को खारिज किया है,
आगे कहा कि मनुस्मृति को तो डाॅ. भीमराव अंबेडकर ही खारिज ही नहीं दहन कर चुके हैं, जो हिंदू धर्म में जाति व्यवस्था को सैद्धांतिक स्तर पर सही ठहराता हैै. और बंच आफ थाउट तो आरएसएस के ब्राह्मणवादी माॅडल का ही दस्तावेज है. जिसे भाजपा संविधान को खत्म कर देश पर थोपने की फिराक में है,
जहां तक रामचरित मानस की बात है, उसके कई उद्धरण घोर महिला व शूद्र विरोधी हैं. ऐसे उद्धरण समाज में दलितों व महिलाओं की दोयम दर्जे की स्थिति को स्थापित करता है, जो आधुनिक मानदंडों के बिलकुल खिलाफ है. क्या इन चौपाइयों से महिलाओं, दलितों व समाज के कमजोर वर्गों की भावना आहत नहीं होती?
उन्होंने आगे कहा कि बिहार के शिक्षा मंत्री की जीभ काटने वालों को 10 करोड़ का इनाम देने जैसी हिंसक व उन्मादी बातें एक बार फिर शुरू हो गई हैं. भाजपाइयों का यही चरित्र है. वे किसी भी प्रकार की आलोचना नहीं सुन सकते. इस तरह का वक्तव्य देकर भाजपाई महिलाओं व दलितों के खिलाफ अपने चरम नफरत का इजहार कर रहे हैं.
0 टिप्पणियाँ