1867 ईo में बना कानून भारतीय प्रेस और पत्रिका रजिस्ट्रेशन विधेयक 2023 ध्वनिमत से पारित हुआ, भारतीय ऑल मीडिया पत्रकार संघ ने इस कानून का स्वागत किया।



श्री ठाकुर ने कहा कि अगर किसी पत्रिका या पत्र को दो साल तक नहीं चलाया जाता है तो उसे इसे कैंसिल किया जा सकता है। इसी तरह से यदि एक ही नाम से दो राज्यों में समाचार पत्र चल रहे हैं तो उनको एक ही जगह चलाने का आनएनआई आदेश दे सकता है। प्रदेश सरकारों को भी पत्रकारों की मदद करनी चाहिए। सरकार ने नयी व्यवस्था में पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशन को सालाना विवरण अपने घर से ही ऑन लाइन कराने की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। आगे कहा कि यह मूल कानून 1867 का है और उस समय 1867 में भारत गुलाम था और अंग्रेजों की मानसिकता थी कि प्रेस को भी कहीं न कहीं अपने हाथ में रखें। यहां तक कि उनके लिए पंजीकरण करना भी अपने आप में बहुत बड़ी चुनौती थी। प्रिंटिंग प्रेस लगाना या प्रकाशन करना, ये अपने आप में बहुत बड़ी बात थी। इसमें जिला मजिस्ट्रेट की बहुत बड़ी भूमिका होती थी और एक बड़ा जटिल तंत्र था। इसको 8 चरणों में किया जाता था। जिला मजिस्ट्रेट के पास पहले जाकर आप पंजीकरण का आवेदन दो फिर वहां फाइल को आगे बढाने में कई महीने लगते थे। उसके बाद उसको दिल्ली में भारत के समाचारपत्र पंजीकार के पास लेकर आओ, फिर उसके चक्कर काटो। इस काम के लिए लगभग आठ चरण पार करने पड़ते थे। नये कानून में अब दो-तीन साल नहीं लगेंगे बल्कि केवल दो महीने के अंदर आपको अपना समाचार पत्र हो या पत्रिका हो उसकी अनुमति मिल जाएगी। ये सरल और स्मार्ट भी है और समानांतर भी है।

उन्होंने कहा, “पहले जिला मजिस्ट्रेट के पास रजिस्टर करना पड़ता और फिर भारत के समाचारपत्र पंजीकार के पास करना पड़ता था। अब ऐसा नहीं है। अब जिला मजिस्ट्रेट के पास भी और आरएनआई के पास भी एक ही समय पर पंजीकरण किया जा सकेगा। यदि किसी आवेदन पर जिला मजिस्ट्रेट 60 दिन में जवाब नहीं देता है तो 60 दिन के बाद आरएनआई ही अनुमति दे देगा। इससे बहुत बड़ी सुविधा मिलने वाली है।”उन्होंने कहा,“ हमने पिछले दो दिनों में भी देखा कि कैसे अंग्रेजों के समय के कानूनों और गुलामी की मानसिकता से मुक्ति दिलाने का काम किया गया। नए भारत के लिए नए कानून भी मिले और इस सदन ने सर्वसम्मति से उन विधेयकों को पारित भी किया। चाहे वो भारतीय न्याय संहिता हो या भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता हो, दूरसंचार विधेयक हो।

”श्री ठाकुर ने कहा कि ऐसे अन्य विधेयक जो अब अगले कई सैकड़ों वर्षों के लिए भारत के काम आएंगे। उसी दिशा में आज प्रेस एवं पत्र पंजीकरण विधेयक 2023 लाया गया है। इस विधेयक के माध्यम से गुलामी की मानसिकता से बाहर निकलकर नए भारत के लिए एक नया कानून लाने का कार्य किया जा रहा है।श्री ठाकुर ने कहा, “मैं एक बात जरूर कहूंगा कि हमने राज्यों से भी मशविरा किया, अलग- अलग संस्थाओं से भी परामर्श किया और उसके बाद हम आपके बीच में ये विधेयक लेकर आए हैं। मैं इसमें एक-दो बातें पर जरूर प्रकाश डालना चाहता हूं। ‘इज ऑफ डूइंग बिजनेस’ इसको हर क्षेत्र में बल देने का काम मोदी सरकार ने किया है। हजारों पुराने कानूनों को या ऐसे कानून जिनकी आवश्यकता नहीं थी उनसे भी मुक्ति दिलाने का काम हमने किया है।

”उन्होंने कहा,“ अधिकतर कानूनों में कारोबारी सुगमता और जीवन की सुगमता मिले ये मोदी सरकार की बड़ी प्राथमिकता रही है। इसलिए इस विधेयक में भी हमने जितने अपराध वाले प्रावधान थे हमने उसको गैरआपराधिक कर दिया है। और केवल एक ही ऐसा प्रावधान है जहां पर अगर किसी ने प्रिंटिंग प्रेस या प्रकाशन शुरू करने की अनुमति ना ली हो तो इसे बंद करने अथवा अनुमति लेने के लिए छह महीने का समय देने का प्रावधान किया गया है। अगर यह नहीं किया जाता है तब जाकर सजा हो सकती है।

   दूसरी तरफ " भारतीय ऑल मीडिया पत्रकार संघ " के चेयरमैन ने इस कानून व्यवस्था को स्वागत करते हुए कहा कि इस से पत्र पत्रिकाओं को लाभ मिलेगा साथ ही जो लोग पत्र पत्रिका निकालना चाहते है वह लोग और पत्रकार आसानी से प्रकाशन शुरू कर सकते हैं  साथ सूचना प्रसारण और युवा एवं खेल मामलों के केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर को और प्रधान मंत्री जी को बधाई दी है। और भारतीय ऑल मीडिया पत्रकार संघ चेयरमैन ने सरकार से कहा है कि पत्रकारों के आथिक स्थित के बारे में भी सरकार कोई कानून बनाएं। पत्रकारों पर लगातार हो रहें हमले पर भी सोचे।

 

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