Meri Pehchan Report By शाहीन सबा
बेतिया, 28 अगस्त। पश्चिम चंपारण जिला स्तरीय प्रवासी मजदूरों एवं श्रमिक मित्रों का एक दिवसीय उन्मखीकरण कार्यशाला का आयोजन जिला की अग्रणी स्वयंसेवी संस्था "सवेरा" के द्वारा महारानी जानकी कुंअर महाविद्यालय के सेमीनार हाॅल में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डाo आर. के.चौधरी ने की तथा संचालन प्रसिद्ध कवि व साहित्यकार जनाब अनील "अनल" साहब ने की। बतौर मुख्य अतिथि प्रोफेसर समशुलहक साहब तथा विशिष्ट अतिथि के रूप सामाजिक नेत्री सुरैया शहाब, भाई पंकज, जेपी सेनानी, भाई नन्दलाल, सुशील शशांक अधिवक्ता, आलमगीर हुसैन, भारत जोड़ों अभियान, संजीव कुमार मिश्र उर्फ मुन्ना मिश्र वगैरह के साथ जिला के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से आए बड़ी संख्या में प्रवासी महिला-पुरुष मजदूर और श्रमिक मित्रों ने शिरकत की। साथ ही जिला तथा प्रखंड स्तरीय श्रम प्रवर्तन पदाधिकारीगण भी कार्यशाला को संबोधित किये। वहीं कार्यशाला के औचित्य पर प्रकाश डालते हुए कार्यक्रम के समन्वयक रामेश्वर प्रसाद ने कहा कि वैसे तो मजदूरों की स्थिति सभी स्तरों पर बेहद बेहाल है। परन्तु प्रवासी मजदूरों का तो कोई पुरसा हाल नहीं है। जिला, प्रखंड, पंचायत की बात को छोड़ दीजिए। वार्ड के स्तर पर भी ऐसे प्रवासी मजदूरों का कोई मान्य आंकड़े सरकार के पास उपलब्ध नहीं हैं। जो बेहद अफसोसजनक बात है। वहीं संस्था के सचिव जयप्रकाश जी ने कहा कि उनकी संस्था "सवेरा" प्रवासी मजदूरों के हक और हकुक को प्राप्त करने के अभियान को आगे बढ़ाने का प्रयास करती रहेगी।
अपने वक्तव्य में प्रोफेसर समशुलहक साहब ने कोरोना काल में हुए प्रवासी मजदूरों की पीड़ा का वर्णन करते हुए अनेक पीड़ादायक घटनाओं का जिक्र किया। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि प्रवासी मजदूरों की समस्याएं देश के भीतर और बाहर दोनों जगह पर विराजमान हैं। विदेशों में होने वाली मुसीबतों पर तो देश का विदेश विभाग कुछ संज्ञान लेता है तब जब हो हल्ला होता है। कारण उसका लेखा-जोखा सरकार के पास होता है। परन्तु देश के भीतर तो कहीं कोई आंकड़े हैं ही नहीं। फिर खोजबीन किसकी और कार्यवाही किस पर? आज जरूरत है श्रमिक वर्ग के समुचित विकास के लिए उनके बच्चों की शिक्षा पर विशेष जोर दिया जाय। इसके लिए सरकारी स्तर पर सारी व्यवस्थाएं हैं पर हम इसके प्रति जागरूक हो जाय तब। कार्यक्रम को सफल बनाने में संस्था के कर्मी ओमप्रकाश जयसवाल, राजूरंजन श्रीवास्तव, ललन श्रीवास्तव, हरिशंकर प्रसाद वगैरह की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
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